Skip to main content

कोरोना से ठीक हो जाने के बाद आने वाली समस्या

भारत में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में बीते 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 78,761 नए मामले सामने आए हैं। इसे एक दिन में कोरोना संक्रमण के नए मामले सामने आने का विश्व रिकॉर्ड बताया जा रहा है। यहां अब तक संक्रमण के 35 लाख 42 हजार से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें से करीब सात लाख 65 हजार मामले फिलहाल सक्रिय हैं और 27 लाख 13 हजार से अधिक मरीज इस वायरस से ठीक हो चुके हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ठीक होने के बाद भी कोरोना वायरस के कारण किसी प्रकार की समस्या हो सकती है? आइए जानते हैं इसपर विशेषज्ञ क्या कहते हैं...

क्या ठीक हुए मरीजों में ईटिंग डिसऑर्डर की समस्या पाई जा रही है? 

डॉक्टर ए. के. वार्ष्णेय कहते हैं, 'जो लोग कोरोना वायरस से बहुत गंभीर रूप से संक्रमित हुए या वेंटिलेटर पर रहे हैं, उनमें ठीक होने के बाद कुछ समस्याएं सामने आ रही हैं। इसका एक कारण उनके अंदर का भय और तनाव भी है। दरअसल, कोविड से ठीक होने के बाद थकान, खाने में परेशानी, स्वाद न आना, सांस लेने में परेशानी, आदि रहती है। इसलिए ठीक होने के बाद ताजा भोजन करने, व्यायाम या योग करने से परेशानी दूर हो सकती है। लेकिन अगर परेशानी बढ़ जाती है तो डॉक्टर से संपर्क करें।'
कोरोना से ठीक हो जाने के बाद आने वाली समस्या
कोरोना ईलाज के बाद होने वाली समस्या

क्या पैक्ड सामान में वायरस का खतरा हो सकता है? 

दिल्ली के समफदरजंद अस्पताल के डॉक्टर एम. के. सेन बताते हैं, 'खुले हुए सामान पर वायरस की मौजूदगी की संभावना हो सकती है, लेकिन जो पैक्ड हैं, उनमें संभावना बहुत कम होती है, क्योंकि ज्यादातर कंपनियों में सामान मशीनों से पैक किया जाता है। अगर होगा भी तो एक निश्चित समय के बाद वायरस नष्ट हो जाता है। कई वस्तुएं हम गरम करके या पका कर खाते हैं, तो वायरस नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा कोई भी सामान लाएं तो कुछ घंटे या एक-दो दिन बाद इस्तेमाल करें। रनिंग वाटर में भी धोने पर वायरस खत्म हो जाता है या उसका प्रभाव कम हो जाता है।'

किसी सतह पर वायरस लोड कितना होता है? 

डॉक्टर एम. के. सेन के मुताबिक, 'यह सार्स कोरोना वायरस-2 है और इसका संक्रमण सांस के द्वारा ही होता है। यानी अगर दो लोग एक मीटर के दायरे में हैं और दोनों में से किसी ने भी मास्क नहीं लगाया है और उनमें से कोई एक संक्रमित है तो दूसरा संक्रमित हो सकता है। सरफेस की बात करें तो दरवाजे या फ्रिज के हैंडल, स्विच बोर्ड, लैपटॉप आदि पर वायरस होता है, लेकिन ह्यूमन टू ह्यूमन जितना प्रभावी नहीं होता है। किसी भी सतह को साबुन-पानी या एक प्रतिशत हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन के घोल से साफ करने से उसपर मौजूद वायरस नष्ट हो जाते हैं।'

कई लोग सैनिटाइजर को लेकर कंफ्यूजड रहते हैं, उनके लिए क्या कहेंगे? 

डॉक्टर एम. के. सेन कहते हैं, 'बाजार में कई प्रकार के सैनिटाइजर आ रहे हैं। इसकी सुगंध या रंग पर न जाएं। इतना देखें कि उसमें कम से कम 70 फीसदी अल्कोहल होना चाहिए। सैनिटाइजर भी बहुत ज्यादा न लें, उतना ही लें जितने में पूरे हाथ साफ हो जाएं। अंगुलियों के बीच में होते हुए नाखून के आसपास भी लगाएं। वैसे अगर कहीं पानी की व्यवस्था है तो साबुन का इस्तेमाल ही बेहतर है।'

मास्क का सही इस्तेमाल कैसे करें? 

डॉक्टर एम. के. सेन बताते हैं, 'जब भी घर से बाहर निकलें तो मास्क का इस्तेमाल जरूर करें। अगर घर में सभी स्वस्थ हैं तो मास्क लगाने की जरूरत नहीं है। एक बार मास्क लगाने के बाद उसे अगले दिन इस्तेमाल न करें। अगर कपड़े का बना है तो उसे धोकर लगा सकते हैं। बेहतर होगा अपने साथ में दो मास्क रखें, ताकि एक धोने के बाद दूसरा इस्तेमाल कर सकें। अगर सर्जिकल मास्क है तो उसे इस्तेमाल के बाद नष्ट कर दें।' 

Comments